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हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ….

है माँ…. हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ…. कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ….. हमारी आँखोँ के आंसू, अपनी आँखोँ मेँ समा लेती है माँ….. अपने होठोँ की हँसी, हम पर लुटा देती है माँ…… हमारी खुशियोँ मेँ शामिल होकर, अपने गम भुला देती है माँ…. जब भी कभी ठोकर लगे, तो हमें तुरंत याद आती है माँ….. दुनिया की तपिश में, हमें आँचल की शीतल छाया देती है माँ….. खुद चाहे कितनी थकी हो, हमें देखकर अपनी थकान भूल जाती है माँ…. प्यार भरे हाथोँ से, हमेशा हमारी थकान मिटाती है माँ….. बात जब भी हो लजीज खाने की, तो हमें याद आती है माँ…… रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सिखाती है माँ……. लब्जोँ मेँ जिसे बयाँ नहीँ किया जा सके ऐसी होती है माँ……. भगवान भी जिसकी ममता के आगे झुक जाते हैँ